Valmiki Ramayana Arya Muni Vol 1-2 वाल्मिकी रामायण आर्य मुनि खंड 1-2 Spiral Binding में Photocopy
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नोट:- यह पुस्तक Spiral Binding में Photocopy करवा कर ही भेजी जाती है क्योंकि अब यह out of print हो चुकी है अतः सिर्फ विशेष अनुरोध पर इस पुस्तक की फोटोकॉपी ही spiral binding करवा कर भेजी जाती है। पाठकों को विदित हो कि “वाल्मीकि रामायण” बहुत बड़ा ग्रन्थ होने से हमने इसको दो भागों में विभक्त कर निकालना निश्चित किया है, इस प्रथम भाग = पूर्वार्द्ध में बालकाण्ड अयोध्याकाण्ड और अरण्यकाण्ड यह तीन काण्ड हैं और शेष तीन काण्ड द्वितीय भाग उत्तरार्द्ध में होंगे। वाल्मीकिरामायण में वास्तविक कितने श्लोक हैं ? जो निकाले गये, वह क्यों निकाले ? इस का ब्योरा स्पष्टतया रामायण की भूमिका में दर्शाया जायेगा जो द्वितीय भाग के साथ होगी। उसी में अश्लील तथा असम्भव कथाओं को भी संक्षेप से लिखकर उनके प्रक्षिप्त होने में पुष्ट प्रमाण दिये जायेंगे जिनसे विदित होगा कि यह वाल्मीकि रचित नहीं। इस रामायण में हमने प्रक्षिप्त श्लोक छोड़े हैं और रामायण की वास्तविक कथा सब ज्यों की त्यों रखी हैं, हां कहीं-कहीं अनुपयुक्त विस्तार का संक्षेप करके महर्षि वाल्मीकि के आशय को मन्थन करने का यत्न किया गया है, जिसका सब ब्योरा इसकी भूमिका में स्पष्ट है। इस आकर ग्रन्थ के प्रक्षिप्त विषय में कोई त्रुटि रह गई हो अथवा कोई प्रक्षिप्त श्लोक इस आर्यटीका में रह गया हो तो जानने जनाने पर द्वितीयावृत्ति में ठीक कर दिया जायेगा, जो आशा है शीघ्र ही छपेगी।। श्री पं० आर्यमुनि जी महाराज के विशेषकर सामाजिक प्रोग्राम में बाहर रहने के कारण तथा अक्षर योजकों के प्रमाद से छपाई में कहीं-कहीं मात्रा तथा वर्णादिकों की अशुद्धियां दृष्टिगत होती हैं, सो आशा है पाठकगण स्वयं ठीक कर लेंगे और द्वितीय भाग में इसका पूर्ण प्रबन्ध किया गया है जो आशा है तीन-चार मास तक पाठकों के समीप पहुंचेगा।
Weight | 2500 kg |
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